आज मुझ पे भले यकीं न करो, दिल में अपने मगर न शक रखना,
डर हो तन्हाइयों में खोने का ग़र, लौट आने का साथ हक रखना...
हम तो जिस हाल में हैं, जी लेंगे, अश्क भी दोगे ग़र, तो पी लेंगे,
और दुआ मांगेंगे खुदा से यही, अश्कों से दूर तुम पलक रखना…
आज मुझ पे भले यकीं न करो...
तुमको जाने की ज़िद है, जाओ, मगर, दिल से ना दूर कर सकेंगे तुम्हें,
होगा मुश्किल तुम्हें ख़यालों से, एक पल को भी मुख्तलिफ रखना...
आज मुझ पे भले यकीं न करो...
वास्ता तुमको है वफ़ा का सुनो, दिल से अपने मिटा ही देना हमें,
दिल तुम्हारा दुखे खुदा न करे, याद गुज़रे पलों को मत रखना...
आज मुझ पे भले यकीं न करो...
सुनेंगे जब भी सदा सावन की, दिल में इक टीस तो उठेगी, मगर,
वक़्त के साथ सीख ही लेंगे, जिगर को अपने पुर-ख़लिश रखना...
आज मुझ पे भले यकीं न करो...
फलक पे भीड़ है सितारों की, हम भी खो जायेंगे इन्हीं में कहीं,
और दुआ देंगे जब भी टूटेंगे, अपने पांवों तले फलक रखना...
आज मुझ पे भले यकीं न करो...
हम जो रुसवा हुए तो क्या ग़म है, नाम लब पे न तुम्हारा आया,
तुमसे इतनी ही इल्तिज़ा है मेरी, कोई इल्ज़ाम मत अपने सर रखना...
आज मुझ पे भले यकीं न करो...
राह-ए-वफ़ा के शहीदों में, नाम एक और जुड़ेगा “सौरभ”,
जलना परवाने की तो फितरत है, शम्मा रोशन ता-क़यामत रखना...
आज मुझ पे भले यकीं न करो, दिल में अपने मगर न शक रखना,
डर हो तन्हाइयों में खोने का ग़र, लौट आने का साथ हक रखना...
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1 comment:
Its Cool....Mr. Cool....oh sorry...Mr. Shaayar...
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