कर न यूं मायूस दिल को, हौसले से काम ले,
कुछ भी नामुमकिन नहीं है, बस तू इतना जान ले...
कौन है जिसको मिली ना राह में नाकामियाँ,
कौन है जिसका बचा है तूफानों में आशियाँ।
कौनसी मंज़िल है ऐसी जो बिना मुश्किल मिली,
और नदी है कौनसी जो बिन गिरे सागर मिली।
कामयाबी हाथ लगती है उसी इंसान के,
वक़्त को सागर बना जो मुश्किलों का जाम ले।
कर न यूं मायूस...
एक कोशिश ना फली तो, ऐ सिकंदर, क्या हुआ,
तेरे आगे ज़िन्दगी का *बहर* है फैला हुआ।
ले निशाने पर कोई तारा तू इस आकाश से,
और लग जा कोशिशों में, फिर उसी विश्वास से।
मंज़िलें मिलती हैं हर उस शख्स को जो बस यूंही,
कर भरोसा खुद पे, उम्मीदों का दामन थाम ले।
कर न यूं मायूस…
राह ग़र मुश्किल लगे तो “सौरभ” ऐसा काम कर,
देख सपने में वो मंज़िल, खुली हों आँखें मगर।
ख्वाब तेरा, देखना तू, रंग ऐसा लायेगा,
क़दमों में आएगी तेज़ी, रास्ता कट जायेगा।
बस बढा चल तू थके बिन अपनी मंज़िल की तरफ,
फासले कुछ भी नहीं हैं, तू जो दिल में ठान ले।
कर न यूं मायूस दिल को, हौसलों से काम ले,
कुछ भी नामुमकिन नहीं है, बस तू इतना जान ले।
*बहर* = Ocean
Subscribe to:
Post Comments (Atom)


No comments:
Post a Comment