Monday, 21 July 2008

रे मन तू निराश मत होना

बादल गरजें उमड़-घुमड़ कर, और पवन ले जाए बहा कर
फिर सूरज चमकेगा लेकिन, कहता है अम्बर का कोना
रे मन तू निराश मत होना

चाहे दिन कितना निर्दय हो, कठिन हो रहा बहुत समय हो
रात्रि किन्तु फिर ले आएगी, तारों सा इक सपन सलोना
रे मन तू निराश मत होना

गहन रात्रि हो, अन्धकार हो, दृष्टि न जाती चक्षु-द्वार हो
मगर तिमिर का ह्रदय चीर कर, किरणें बरसाएंगी सोना
रे मन तू निराश मत होना

विषम परिस्थिति, कठिन समय हो, सभी मार्ग जब बाधा-मय हो
मान हार तू बैठ न जाना, और विचलित होकर नहीं रोना
रे मन तू निराश मत होना

यदि तांडव कर रहा प्रलय हो, और दिखाता मृत्यु का भय हो
सत्य चिरंतन यही, जान ले, सृजन प्रलय के बाद है होना
रे मन तू निराश मत होना

इस जीवन का सार यही है, विजयी होता सदा वही है
जिसने सीखा विपदाओं में, “सौरभ” अपना धैर्य न खोना
रे मन तू निराश मत होना

1 comment:

Megha Khare said...

Well done Sonu Da... Way to go.. keep writing.. Nice way to keep yourself engaged..

and yes Pooja Chachi saying "Achi hai" but everyone keeps asking whether you are depressed :(