के जैसे ज़िन्दगी बदल सी गयी;
ख्वाहिशों के भरे समंदर में,
उनकी तमन्ना है फिर मचल सी गयी;
जिस तबियत को ला-इलाज कहा था सब ने,
फ़क़त तसव्वुर-ए-सनम से है संभल सी गयी;
उनके वादे पे था ऐतबार हमें,
शम्म-ए-इंतज़ार फिर से जल सी गयी;
उनका चेहरा जो ज़हन में उभरा,
तबियत-ए-दिल ज़रा बहल सी गयी;
दिल के गुलशन में बहारें आयीं,
यादों की बर्फ है पिघल सी गयी;
उनकी खुश्बू जो फ़िज़ा में बिखरी,
लगा बयार-ए-इश्क फिर चमन में चल सी गयी;
कैसे समझायें दिल-ए-नादां को,
जुस्तजू यार की इसमें है अब तो पल सी गयी;
उनके दीदार की ख्वाहिश ही बची है "सौरभ",
वर्ना अब जान बदन से है कुछ निकल सी गयी...


2 comments:
Its wonderful...I am amazed to see this talent of yours. Keep it up....!!!
good saurabh....UK jakar shayar ho gaye...
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